बस्स बस्स ये बारीश कितना बरसेगी। जरा उनका भी सोच जिंनकी छत से पाणी रिसता हो। दिन भर मजदूरी करके रात को बच्चो को सुखे मे सुलाकर खुद पाणी की एक एक बुंद को देख कर रात काटते हो। ...
बस्स बस्स ये बारीश कितना बरसेगी। जरा उनका भी सोच जिंनकी छत से पाणी रिसता हो। दिन भर मजदूरी करके रात को बच्चो को सुखे मे सुलाकर खुद पाणी की एक एक बुंद को देख कर रात काटते हो। ...