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मराठी

चारीत्र्यहिन

4.0
44176

श्रीपतीने धापा टाकीत टाकीत कसंबसं धावत येऊन दाराला आतुन कडी घातली नी तसाच फळकुटाला पाठ टेकुन उभा राहीला. अंगावरच्या चिंब भिजलेल्या शर्टाची बाही धरुन थरथरत्या हातानं कपाऴावरचा घाम पुसला.काय करावं नी ...

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संतोष शिंदे
टिप्पण्या
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    sandeep sawant
    07 नोव्हेंबर 2017
    मै तलाश रहा हूँ, ..............एक "चरित्रहीन" औरत !! पर मै हैरान हूं , ........ वो मुझे आज तक मिली नही, ......... ऐसा भी नहीं है कि, मैने उसे सही से तलाशा नही, मै गया था........... मै उन तमाम औरतों के पास भी गया, जो देह को लेकर बाजार सजाती थी, जो क्लबो मे अर्धनग्न हो नाचती गाती थी, जो रोज वासना के नये नये किरदार निभाती थी, पति से आंखे चुरा गैर मर्द की बाहों मे प्रेम ढूढंती थी, ......................मैने वो तमाम औरते देखी !! .........पर मै हैरान था, उनमें कही भी वो चरित्रहीन औरत नही थी, पर वहां हर औरत के पीछे.......,, एक पुरुष जरूर छिपा था कायर, कामुक, वासना की कीचड मे, ...................सर से पांव तक सना..!! शायद यही था...."वो" , जिसने सबसे पहले औरत को "चरित्रहीन" कहा !! क्योकि अकेले औरत ही चरित्रहीन नही होती
  • author
    sandeep
    07 जुलै 2017
    pratyek gavatil kahi striyanchi hich sthiti aahe.charitryheen.mi fakt kahi striyancha ullekh kela aahe.shame on us.
  • author
    Vaishali Patil
    11 जानेवारी 2018
    छान आहे पण अजून जास्त लिहिता आले असते .. कथा छान आहे.
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    sandeep sawant
    07 नोव्हेंबर 2017
    मै तलाश रहा हूँ, ..............एक "चरित्रहीन" औरत !! पर मै हैरान हूं , ........ वो मुझे आज तक मिली नही, ......... ऐसा भी नहीं है कि, मैने उसे सही से तलाशा नही, मै गया था........... मै उन तमाम औरतों के पास भी गया, जो देह को लेकर बाजार सजाती थी, जो क्लबो मे अर्धनग्न हो नाचती गाती थी, जो रोज वासना के नये नये किरदार निभाती थी, पति से आंखे चुरा गैर मर्द की बाहों मे प्रेम ढूढंती थी, ......................मैने वो तमाम औरते देखी !! .........पर मै हैरान था, उनमें कही भी वो चरित्रहीन औरत नही थी, पर वहां हर औरत के पीछे.......,, एक पुरुष जरूर छिपा था कायर, कामुक, वासना की कीचड मे, ...................सर से पांव तक सना..!! शायद यही था...."वो" , जिसने सबसे पहले औरत को "चरित्रहीन" कहा !! क्योकि अकेले औरत ही चरित्रहीन नही होती
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    sandeep
    07 जुलै 2017
    pratyek gavatil kahi striyanchi hich sthiti aahe.charitryheen.mi fakt kahi striyancha ullekh kela aahe.shame on us.
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    Vaishali Patil
    11 जानेवारी 2018
    छान आहे पण अजून जास्त लिहिता आले असते .. कथा छान आहे.